जिनेरियम की खेती (Geranium Cultivation) के लिए किसानों को इसमें ज्यादा लागत लगाने की जरूरत नहीं होती. इसकी खेती चाहें तो कहीं भी कर सकते हैं. बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी होती है. इसके साथ ही मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच में बेहतर माना जाता है. जिरेनियम की बुवाई करने से पहले किसानों को इस बात का खास ख्याल रखना होगा, कि खेत की जुताई सही ढ़ंग से हुई हो. साथ ही खेत में पानी की निकासी भी अच्छी होनी चाहिए. पानी की अच्छी निकासी पौधों को अच्छा उत्पादन देने में कारगर होती है. अगर फसलों में पानी भरा रहेगा तो पौधों की जड़ों के सड़ने का खतरा भी बना रहता है.
हजारों रुपये किलो बिक रहा जिरेनियम आयल
अगर आप पहली बार जिरेनियम की खेती (Geranium Cultivation) कर रहे हैं, तो इसके लिए आपको करीब लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. जिरेनियम आयल की बाज़ार में काफी डिमांड है. हालांकि बाजार में इसका आयल करीब 20 हजार रुपये किलो तक बेचा जा रहा है. इसकी खेती का सबसे बड़ा फायदा किसानों को यह होता है कि, एक बार की बुवाई के बाद्द इसके पौधे से लगभग चार से पांच साल तक की कमाई पक्की हो जाती है.
दरअसल, रोहित मुले नामक किसान की यह कहानी है, जो कि महाराष्ट्र के सांगली में कवलपुर गांव के मूल निवासी हैं। तीन वर्ष पूर्व वह भी आम किसानों की तरह ज्वार, अंगूर की खेती करते थे। परंतु, बाढ़, ओलावृष्टि एवं विभिन्न वजहों से बहुत बार फसल में हानि उठानी पड़ती थी। ऐसी स्थिति में उन्होंने कुछ अलग करने के विषय में सोचा और बहुत सारे स्थानों की यात्रा के साथ-साथ विभिन्न तरीकों की खेती के विषय में जानकारी इकट्ठी की। इस दौरान उनका ध्यान जिरेनियम की खेती पर गया। उन्हें जानकारी मिली कि जिरेनियम, लैवेंडर एवं लेमन ग्रास की भांति ही परफ्यूम प्लांट है। इन समस्त पौधों की पत्तियों से निकलने वाले तेल का उपयोग इशेंसियल ऑयल्स एवं परफ्यूम आदि में होता है। साथ ही, इस खेती से उन्हें ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। फिर उन्होंने जिरेनियम की खेती करने का मन बना लिया।
रोहित ने पांच एकड़ की भूमि पर जिरेनियम की खेती चालू कर दी है। इस दौरान उन्होंने कहा है, कि जिरेनियम की खेती बीज से नहीं बल्कि कटिंग के माध्यम से की जाती है। जिरेनियम के शूट्स को नर्सरी में नवीन पौधे तैयार करने के लिए उपयोग करते हैं।
जिरेनियम की खेती के लिए उपयुक्त तापमान क्या है
जिरेनियम उत्पादक किसान रोहित का कहना है, कि जिरेनियम की खेती के लिए सामान्य तापमान 30-35 डिग्री के मध्य होना चाहिए। ऐसे तापमान में आसानी से जिरेनियम की खेती की जा सकती है। एक एकड़ में जिरेनियम के 12000 पौधे रोपे जाते हैं। इसके अतिरिक्त, जिरेनियम की सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन (drip irrigation) प्रणाली होनी चाहिए।
जिरेनियम की पहली फसल कितने दिनों में पककर तैयार हो जाती है
किसान रोहित के कहने के अनुसार, जिरेनियम की खेती करने पर आपको प्रथम फसल साढ़े चार माह उपरांत ही प्राप्त हो जाती है। इसकी खेती को करने में पहली बार पौधों सहित इरीगेशन सिस्टम, खरपतवार व लेबर की लागत 1 लाख 20 हजार हो सकती है। वर्तमान में एक किलो जिरेनियम तेल की कीमत तकरीबन साढ़े आठ हजार रुपये है। एक एकड़ से एक बार में 14 से 15 किलो तेल प्राप्त हो जाता है। बतादें, कि इससे पहली लागत वसूल की जा सकती है।
किसान रोहित का कहना है, कि जिरेनियम खेती की पहली कटिंग के पश्चात प्रत्येक साढ़े तीन माह में इसकी फसल हांसिल की जा सकती है। इसके पौधे तीन वर्ष तक रहते हैं। इस प्रकार से हर तीन महीने में वह लाखों की आमदनी कर लेते हैं। उनका कहना है, कि खेती से 150 किलो जिरेनियम का तेल अर्जित होता है, जिसकी आमदनी 12 लाख रुपये होती है।